Crush..

on Monday, August 23, 2010

वो बोला ...
# तुम पागल हो क्या ,अजीब-२ जवाब दे रही हो ? प्यार-व्यार में तो नहीं हो   :P ?
 
वो बोली कि 
 ~ "मैं प्यार-व्यार नहीं करती मेरे तो बस क्रश होते हैं  और तुम मेरे क्रश हो "  ही ही :) ..

# क्या ?? अरे ऐसा कैसे हो सकता है ,मैंने तुमको देखा तक नहीं और ऊपर से हम  केवल G-Talk से कभी-२ बात करते हैं और मैं  तुम्हारा क्रश  भी बन गया ? बात हजम नहीं हुई ?

~ वो बोली  बात हज़म करनी है तो करो वरना मर्जी तुम्हारी :|
 
 #  :) :) अच्छा !
 
~ वैसे सच बोलूं तो मैं तुम्हारी तब से फैन हो गयी थी जब अप्रैल २००८ में तुमने भारत विकास परिषद् के त्रैमासिक संगोष्ठी पर अपने विचार रखे थे :) .

# पर ऐसा कैसे संभव है ,जहां तक मुझे याद है तब मुझे केवल 15 मिनट मिले थे अपने विचारों को अभिव्यक्त करने को ? ये बात तो कुछ फिल्मी सी लगती है  ....

 ~ तो क्या हुआ ? 15 मिनट क्या कम  होते हैं किसी को पसंद करने के लिए  ? वैसे भी "फिल्में भी किसी न किसी का सच तो होती ही हैं ! "

# अरे पसंद करने के लिए मतलब ? अब तुम पहले तो ये बताओ कि क्रश क्या होता है ;) ? थोड़ा कन्फयूजिंग है ...( ये जानबूझ कर पूछा गया सवाल था ;) )
 
~ तुमको इतना भी नहीं पता बुद्धू ? सच में पागल हो तुम :P

# अरे मतलब ठीक है अगर क्रश केवल पसंद करना ही है तो मैं तो अपने कई दोस्तों (लड़के व लड़कियों ) को पसंद करता हूँ :P  ! व्हट्स सो स्पेशल इन इट ?

~ पागल ही रहोगे हमेशा तुम :P ...
Crush is when " u like them romantically..because their nature has the traits which u always wanted in ur prince ,traits of being emotional,honest and straight forward  ,, thats Crush " :) ... अब समझ आया बुद्धू ? एक बात और  "you don't wanna possess your crush" :) ...

# ओह्ह तेरी !!!!  भारी बात हो गयी ये तो :) ... है ना ?  :P
 
~ तुम्हारे को प्राब्लम क्या है ? कोई अगर तुमको पसंद करता  है तो अच्छा ही है... ? 

# हाँ शायद ... मगर जो बात तुम बोल रही हो वो केवल पसंद करने तक नहीं है न ..

~ देखो अगर ये केवल ऐसे ही फर्जी सी बात या sudden  emotion  होता तो आज दो-ढाई साल बाद भी वो इमोशन ज़िंदा नहीं होता !

# हाँ ये भी सच ही है वैसे ..

~ मुझे भी पहले यही लगा था कि थोड़ी देर की "प्रेरणा" है शायद , मगर तुमसे मिलने के बाद से अब तक वो "भावना"  शाश्वत है ! मेरे गुरूजी  का कहना है कि हम आत्मा के स्तर पर किसी ना किसी डोर से पूर्व जन्म में भी जुड़े हुए होते हैं इसी वजह से हम किसी के दोस्त ,किसी के हमसफ़र ,किसी के भाई/बहन  और किसी के पुत्र/पुत्री होते हैं !

# यानी ??

~ यानी मुझे भी लगता है ऐसा ही कोई "वास्ता" हमारा भी है ...

# अच्छा :) ... क्या जाने ......सच ही हो :)

Incomplete :) ....