गौरव क्लास में कुछ भव्य इमारतों के बारे में बता रहा था तभी"स्वर्ण मंदिर अमृतसर " की बात आयी !
पूनम: सरजी गुरूद्वारा क्यों जाते हैं ?
शाहिद : तुझे इतना भी नहीं पता ,गुरूद्वारे में पूजा की जाती है !
चूंकी हमारे बच्चों का मंदिर व मस्जिद के बारे में जानना स्वाभाविक है मगर गुरूद्वारे के बारे में शायद ज्ञान नहीं था सबको !
पूनम ने फिर पूछा "सरजी हम पूजा क्यों करते हैं"
इस बार सूबी बोली "पूजा करने से या फिर नमाज पढ़ने से हमको जो मांगो वो मिल जाता है " अबकी बार पूनम ज्यादा विश्वास से जवाब देती है ! "कुछ नहीं मिलता है सर " !
अब बच्चों के इस वाद विवाद को मैंने ही चुप करवाना था तो सोचा पहले बच्चों से ही पूछ लिया जाय !
अच्छा बताओ बेटा पूजा या नमाज पढ़ने से किसको क्या मिला ?
सबसे पहले जाबांज ने हाथ खडा किया !
जाबांज : सर मुझे पहले न ही कुछ समझ आता था और न ही मैं पढ़ने में अच्छा था,फिर मम्मी ने बोला की पाँचों टाईम नमाज पढ़ना शुरू कर और देख खुदा कैसे तुझे तरक्की देता है !
११ साल का जाबांज सुबह ४ बजे कि नमाज के लिए उठने लगा और नमाज के बाद नैसर्गिक सा पढने लगा ,बाल-मन को ये नहीं पता चला की खुदा ने उसकी मदद भी तब की जब वो अपनी मदद करना सीख पाया ! वैसे ये बता दूं कि जाबांज अब बहुत योग्य और कुशाग्र विधार्थी है !
सूबी : सरजी २-३ साल पहले जब आप शुरू-२ में पढ़ाने आते थे न तो मैं खुदा से मांगती थी कि "मुझे भी स्कूल जाना है " फिर पहले सरकारी स्कूल में हमारा दाखिला करवाया और बाद में नई दिशा में ,तो खुदा से मांगने पर मिल गया न मुझे भी !
अब सूबी ये भूल गयी थी कि "नई दिशा" में एडमिशन होने के लिए उसने खुद रात के ११:३० बजे तक कडाके के ठण्ड के दिनों में क्लास करी है ,विकास,कनन या फिर मुझसे ! यहाँ पर भी बाल मन अपनी मेहनत का श्रेय खुदा को दे जाता है और थोड़ी सी विडम्बना ही है ना कि जैसे-२ हम बड़े होते हैं हम खुदा का श्रेय भी खुद को देने लगते हैं ,जैसे हम कैसे परिवार में पैदा हुए ,धन-धान्य कितना है ,कद-काठी कैसी है ..खैर वैसे सूबी कक्षा पांच में पहुँच चुकी है इस साल !
सूबी की कहानी से रीना भी इत्तेफाक रखते हुए कहती है कि हाँ सरजी मैं भी पूजा करती हूँ तो भगवान् मेरी बात मान जाता है
पूनम अभी भी असमंजस में थी !
पूनम : सरजी पर भगवान् मेरी बात तो नहीं सुनता ,ऐसा क्यों ?
बेटा क्या नहीं सूना भगवान् जी ने !
पूनम : सरजी मैंने न नई दिशा में एडमिशन के लिए पू
जा कि तो मेरा एडमिशन वहां हुआ नहीं ,फिर मैंने मूनलाईट स्कूल में दाखिला पाया तो वहां पर भी मैंने भगवान् जी से पूजा की ,पर मुझे फिर भी बहुत कम आता है !
बात खुद ही सही रास्ते पर आ गयी थी तो मेरे लिए समझाना आसान हो गया !
मैं बोला कि ,बेटा देखो एक बात सब समझो कि जब तक आप खुद की मदद नहीं करोगे तब तक भगवान् या खुदा से कितनी भी प्रार्थना कर लो ,वो आपको कोई मदद नहीं करेगा ! चाहे रीना हो ,सूबी या जांबांज सबने अपनी तरफ से मेहनत की और भगवान् या खुदा से प्रार्थना भी की
इसलिए उनकी बात सुनी और उनकी इच्छा पूरी हुई ,जबकी पूनम केवल पूजा करती है घर पर खुद मेहनत नहीं करती ( इस बात का इल्म पूनम को स्वयं भी है ) तो इसीलिये उसकी पूजा को भगवान् नहीं सुनता है !
ऐसा आभास हुआ कि पूनम का बाल-मन शायद कुछ तो समझ सका है :) .
सोना की चुलबुलाहट से समझ आ रहा था कि कुछ है उसके भीतर जो कहना चाह्ती थी वो मगर किसी सोच में डुबी थी !
क्या हुआ सोना ?
सोना : सरजी आप पूजा करते हो ?
हाँ करता हूँ ना ,
आपने क्या मांगा भगवान् जी से ?
एक हल्की सी मुस्कुराहट मेरे चेहरे पर आयी,अब इन्सान होने के नाते भगवान् के सामने हाथ फैलाना तो जैसे हमारा धर्म होता है ,मगर मैं अपने लिए कम ही हाथ फैलाता हूँ ईश्वर के सामने ..खैर ..
जब भी तुम लोगों का एडमिशन का टेस्ट होता है तब मैं भी भगवान् जी से मांग लेता हूँ कि तुम सबका एडमिशन हो जाए और तुम सब आगे तक पढ़ते रहो ...बस यही ...
सोना : सरजी तो आप बस हमारे लिए ही मांगते हो अपने लिए ...
अपने लिए तो बहुत कुछ मांगते रहता हूँ ... बहुत लम्बी लिस्ट है ...
सोना : जैसे क्या मांगा आपने ..
चलो-२ ये सब छोड़ो अब पढाई करते हैं .. :)
क्रमश: ...
PS: नवम्बर २००९ की घटना पर आधारित ..
9 comments:
very nice post...Shruti
Kaafi Samay Baad Hamari bhi Bhagwaan ne suni aur blog update hua...really "GOD IS GREAT" :)
Nice one!!!
Nice thouhghtful experience.. Kabhi kabhi kuch sawal bade hi sidhe hote hain par jawab kafi mushkil si hoti hai..
100 % true.....if u cant help urself no1 else can help u
LEHERO SE DARKAR NOUKA PAR NAHI HOTI
KOSHISH KARNE WALO KI HAR NAHI HOTI
very nicely written darshan.....keep it up....waiting for more updates
जैसे-२ हम बड़े होते हैं हम खुदा का श्रेय भी खुद को देने लगते हैं
सही कहा आपने ! वैसे भी बच्चों के बीच रहकर बहुत कुछ सीखने को मिलता है। खासकर ये कि हममें कौन सी बात विलुप्त हो गई है।
Hey where is part 2 ... its been almost 2 months ?
insightful, deep and yet again very simple :)
तुम्हारी posts में से ये काफी पसंद है मुझे...वजह लेखन में कम और इस अनुभव में ज्यादा है...तुम्हारे और बच्चों के बीच का संवाद जीवंत है...और उसे पढते वक्त हम अपने आपको उन्ही बच्चों के बीच कहीं महसूस करते हैं ....तुम्हारे सवालों के जवाब dhundte हुए... अपने लिए....बहुत छोटे से पल में...काफी कुछ है इस पोस्ट में..
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