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हम चले जायेंगे ,राहें चलती रहेंगी ...
हम गुनगुनायेंगे ,तुम गुनगुना लेना ..
दसवें सावन के बाद ,
इक दिन हम बड़े हो लिए ..
तुम चले दिये,हम भी ना रुके
गम था छुटने का और खुशी कुछ नए का ..
टिन के छत वाले स्कूल की
बरसाती दिनों का संगीत ..
हम न सुन पाए फिर कभी
हम- तुम जो साथ न रहे ..
कुछ फिर मिले राहगीर,कुछ नए वादे किये
अचानक एक दिन फिर बुशर्ट की बाहें छोटी हुई ..
फिर खड़े हम उसी मोड़ पे
तुमने जब नई राहें चुनी ..
पहाडी कस्बे की हवा ने
हमसे रुख मोड़ लिया
हम जिए हम बढे
तुम न थे ,बस तुम न थे ..
फिर नई शुरुआत में
तुमने हमको थाम लिया ..
हम जिए हम बढे
तुमने साथ जो दिया ..
दिन वो फिर से आ गया
कमाने के फेर में धकेला गया ..
राहें बदली ,शहर बदले
बदले छत ,आकार जेबों के ..
फिर पाए कुछ नए चेहरे
याद दिलाते कुछ तुम्हारे अक्स की
हम जिए हम बढे
तुम जो साथ हो लिए ..
फिर ये दिन आ गया
इक पुराना मोड़ सा ..
फिर उसी मोड़ पे ,फिर उसी अहसास में
कुछ चलेंगे ,कुछ बढेंगे ,कुछ तो छुट ही जायेंगे ..
जीवन के इस निरंतर प्रवाह में
हम सीखे ,हम बढे ,पाते रहे "तुमको " नए रूप में ..
अक्स बदले ,शहर बदले और बदल गयी वो छतें
विश्वास कायम है मेरा ,भावना वो बदलेगी ना
"यारी " की ये कस्तूरी खुशबू ..
चलती रहेगी ,तुम जो चाहो तो ....
"दर्शन"
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PS:- Its for you ,all of my lovely " FRIENDS "...
3 comments:
एक पुराना फिल्मी गीत याद आ गया:
हम तुमसे मिले, फिर जुदा हो गये
देखो फिर मिल गये, अब होंगे जुदा
फिर मिलें न मिलें ...
या रब, ये मेरी अजब जिंदगानी है...
कविताओं से दुश्मनी पुरानी है | :P
ye kavita yha waste kyun ki?kisi news paper me bhejo...:)
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