नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ..

on Monday, January 14, 2008



On 5 July 1943,
Netaji took over the command of the Indian National Army, and then
christened Azad Hind Fauj (Free India Army). Arrived from Manila in time to review the
parade of troops standing alongside with Rashbehari Bose, the founder of Indian National
Army. Addressing the soldiers, Netaji said:

अपने पूरे जीवन से मैं सीखा हूँ कि-
हिन्दुस्तान के पास वो हर एक चीज है जो आजादी के लिये आवश्यक है ,अगर कोई कमी है तो वो है एक सेना की, “आजादी की सेना” !!!
वाशिंगटन ने अमेरिका को ऐसी ही सेना के बल पर आजाद करवाया ,इटली को आजादी ऐसी ही सेना ने दिलवायी ! आप खुद को सौभाग्यशाली समझो कि “आजाद हिन्द फौज“ बनाने में आप लोग सबसे पहले आगे आये !
जवानो ,मुझे नही मालूम की हम में से कितने लोग इस आजादी की लडाई के बाद जीवित बचेंगे ! पर मैं इतना जरूर जानता हूँ कि, आखिरकार जीत हमारी होगी !
हमारा मक्सद तब तक पूरा नहीं होगा जब तक कि हम में से जीवित बचे हुए योद्धा दिल्ली में बैठे अंग्रेजी कुशासन को कुचल कर जीत का बिगुल न बजा दें !

जवानों दिल्ली चलो, तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूँगा ! जय हिन्द !!!!

सच कहुँ तो उपरोक्त लेख मैने AID-Aashayen के बच्चों के Fancy Dress Competition के लिये तैयार किया था, या ये कहना चहिये कि मैने हिन्दी रूपांतरण किया ,परंतु Internet से काफी कुछ पढ्ने को मिल गया ! Internet के द्वारा महान राष्ट्रवादी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महनायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के जीवन का विस्तुत ज्ञान हुआ!

काफी कुछ पढने के पश्चात दो विचार मेरे जहन में उठे !!!
1. क्या प्रत्येक भारतीय जनमानुष सही मायनों में स्वतंत्र हो चुका है ?
अगर हाँ तो, क्या ऐसी ही स्वतंत्रता को हासिल करने के लिये इतना संघर्ष किया गया था ? आशय यह है कि हम स्वतंत्र तो हैं इसमे कोई शक नही है परंतु हम में से कितने लोग स्वतंत्र हैं ?
देश के 37 % लोग आज भी दो जून की रोटी के लिये मोह्ताज हैं और एक तिहाई जनता प्राथमिक शिक्षा तक नही पाती है !

2. लेकिन असल सवाल जो मेरे दिमाग को परास्त कर गया वो यह कि सही मायनों में इतने बडे देश को इतने सूक्ष्म साधनों के दम पर,
कैसे देश को हमारे महानायकों ने स्वतंत्र कराया होगा ?
नेताजी ने तो देश से बाहर रह्कर ही “आजाद हिन्द फौज” को नेतृत्व प्रदान किया ! सच बोलूँ तो शायद यह कहना कतई अतिशयोक्ति नही होगा कि हमें पूनः एक और क्रांति की जरूरत है जो आजादी की लडाई के समान एक बार फिर से, देश के प्रत्येक नागरिक को अशिक्षा और भूख की दासता से मुक्त करें !
क्या ऐसी क्रांति के लिये आज हमारे पास नेताजी जैसे सशक्त महानायक हैं ?

नेताजी को समर्पित ..


Darshan Mehra

PS: your feedback always motivates to write better ,so give it now on COMMENT section :)




9 comments:

Pratik Dixit said...

Nice One -

Being an indian it is required to lead india once more --and our acts are the driving force for it.
AID like initative are always leads that path ----.


My Standing Avation to you and all your AID society memebers..

पंकज said...

महानायक आज के समाज की जरूरत भले ही हो , पर आज महानायक बनना लगभग असंभव सी एक बात हो चली है. व्यक्ति स्वकेन्द्रित हो चला है, आज जो भारतीय समाज की मानसिकता है , सच कहूँ अगर आज से ७० साल पहले समाज की यही मानसिकता होती तो शायद हम कभी आजाद ही ना होते..
समाज हर तरह से बंट चुका है , जरूरत के नाम पर , सिद्धांतों के नाम पर, विकल्पों के नाम पर..
मुझे नहीं पता की इसका हल क्या है , बस मैं इतना जानता हूँ कि कुछ हासिल करने को और कुछ बन पाने को इस समाज को सबसे पहले अपनी मानसिकता बदलनी होगी.. और इसकी शुरुआत हर आदमी ख़ुद को बदल के कर सकता है...
पर क्या ये वाकई इतना आसान है ??

Beagle said...

good one, Darshan..

Divya Prakash said...

इस तरह सवाल उठाओगे तो दिक्कत हो जायेगी दर्शन बाबु , लेकिन बढ़िया है की आप ये सब सवाल पूछ रहे हो , पंकज ने ठीक बोला की हम कई मायनो मैं बँटे हुए हैं , लेकिन बहुत जरुरी है ये बांटना , यही खूबसूरत बना देता है हमें | रही बात आज़ादी की और क्रांति की तो , वो तो धीरे धीरे अपनी चल चल रही है , देखो ना आज कल कितने इंजिनियर कम कर रहे हैं , बाहर जा रहे हैं , मध्यम वर्गीय परिवार कितना खास है , सारीबड़ी कंपनियों के लिए , आज ही एक मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का सपना देखता है तो इन्फोस्य्स खड़ी कर देता है , और बहुत सी चोटी बड़ी चीजे ,क्रांति ही तो कर रही हैं ,जिस रस्ते पे हम है वो सबसे सही न भी हो तो बेहतर दिशा मैं बढ़ता हुआ तो जरुर दिखता है मुझे !!

दर्शन said...

दिव्य , सवाल मध्यम वर्ग का ही नही है ,सवाल है पूरे हिन्दुस्तान की ,बडे शहर में रह कर हम लोग शायद यह भूल जाते हैं हिन्दुस्तान का एक चेहरा गाँव में भी है ,उसका एक चेहरा बडे शहरों की छोटी-छोटी झुग्गीयों में भी रह्ता है ! मैं हर तरह से मानता हूँ कि भारतीय मध्यम वर्ग् सशक्त हुआ है, मेरा सवाल था उस “common man” के लिये जो शायद आज भी नहीं समझता है के साफ्ट्वेयर क्या होता है! उसको अपने परिवार का भोजन जुटाने में ही इतनी जद्दोजहद करनी पडती है कि शायद उसे ये वैश्विकरण की झलक छूँ तक नही पाती !!! और मध्यम वर्ग के विकास की खुशी में शायद हम देश की एक-चौथाई निम्न वर्ग को तो भूल ही जाते हैं !!

और मैं इस लेख के माध्यम से कोई शिकायत नही कर रहा ,मेरा तो मानना है कि” जब मैं जागूँगा तब ही देश भी जागेगा” !!! मैं स्वयँ जागने की कोशिश कर रहा हूँ बस!!!

selva ganapathy said...

acha hai ki tumne netaji ke baare mein doonda aaur itna acha blog likha.. ab kisi aaur ke baare mein doondo :)

power blog said...

यार ये प्रश्न तो मेरे अंदर भी चलता रहता है की, वाकई हम लोग आजाद है? वह सब करते है जो हम करना चाहते है? जहा अपनी रूचि है, मेरे ख्याल से नही| ये शायद एक ऐसा झूठ है जिसके बल हम अपने आप को खुश महसूस करते है| बचपन में मैं हमेशा अनंत आकाश के बारे में सोचा करता था की आख़िर इसका अंत है कहा? पर अब समय की इतनी पठ्खानिया खाने के बाद मैं वो नही सोच पाता | जो मैं देख रहा हूँ, जो भी आस पास घटित हो रहा है, उससे संबंधित ही मस्तिस्क मे सवालो की इतनी ऊँगलियाँ उठ रही है, जवाबों की मुट्ठी नही बन पा रही| दर्शन भाई तुमने जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के स्वतंत्रा संग्राम की बात कही है, और गुजारिश की है एक और संग्राम की अपनी वास्तविक स्वतंत्रता के लिए, मे उससे तो सहमत हूँ | बहरहाल मेरा मानना ये है की इस बार की लड़ाई बहुत लम्बी, दुखदायी और धेर्य को हिला देने वाली होगी, क्यूंकि ये लड़ाई कुछ लोगो से नही है, बल्कि अपने साथ है. तो अपने अहम् के साथ है, और अपने लोगो को भी इसके लिए प्रेरित करना, आसान तो नही, पर मुश्किल भी नही है| अपना फायदा देखना ज़र्रूर्री, पर इस बात भी ख्याल रखना होगा की हर जगह नही| कोई हमारी भावनाओं, इच्छाओ को क्यों समझे, अगर हम ही ना समझे उसे | सो मेरे दोस्त, मैं अंतत मे यही कहना चाहता हूँ की हम सब साथ मिलकर, हाथो मे हाथ दाल आगे बड़े, एक दूसरे को समझते हुए, उसकी स्वतंत्र का भी ख्याल रखते हुए चले तो शायद एक ऐसे सुकून की प्राप्ति हो सकती है, जो आज के हालत से काफी बेहतर होगी. और मे ये भी कहना चाहूँगा की हमारी वास्तविक स्वतंत्रता, मानसिक सुकून, और आपसी भाईचारे मे ही देश की भलाई है, मेरे भारत की भलाई है|
जय भारत!!!!!

BrijmohanShrivastava said...

बहुत ठंडी और गहरी साँस भर कर कहना पड़ रहा है की आपके विचार समयानुकूल होते हुए भी अमल में लाना मुश्किल है /एक और क्रांति से आपका क्या अर्थ है स्पस्ट नही किया है /नेताजी पर आपका लेख बहुत अच्छा रहा / अब समाज सुधार की बातें अक्सर लेखों में की जाती है परन्तु आजकल लेखों को पड़ने की फुरसत कहाँ है /हमारे बच्चों पर सिनेमा संस्क्र्ती के प्रभाव को आप देख ही रहे हैं आज आठ साल के बच्चे के दिल में पुलिस की क्या छवि है नेता की क्या छवि है हर पिक्चर में पुलिस को रिश्वत लेते दिखाना मंत्रियों को भ्रस्ताचार में लिप्त बताना सब इंसपेक्टर को मजाकिया बताना / आज पुलिस को देखते ही जहाँ उनके प्रति आदर और भय का भाव जाग्रत होना चाहिए बहा क्या भाव जाग्रत होने लगा है /मजेदार बात -आजकल अदालत को भी नहीं बक्श रहें है जमानत कर बाने के लिए विलेन का बाप कहता है ==सुबह आठ बजे -डिस्ट्रिक्ट जज -बीस लाख /क्या है ये /सेंसर क्या सिर्फ़ कपडे ही देखता है / ऐसे वातावरण में आपके लेख कितना असर डालेंगे समझ से परे है /ताहम लिखना ज़रूर जारी रखिये यदि सौ में से एक ने भी पढ़ कर प्रेरणा ली -आपका लक्ष्य सफल हो भी सकता है

Santosh Kumar Vishvakarma said...

dear darshan....
its a nice affort carried by u and ur group..
ggod keep it up..
and mail me about its progress...
at mailmesantoh@yahoo.co.in or svishvakarma@gmail.com
my best wishes are with you..
happy time

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