अनुभव

on Thursday, November 1, 2007



दिन शनिवार,तारीख 20 अक्टूबर 2007 ,समय दोपहर के 12:30 बजे
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लम्बा कुर्ता और जींस पहने हुआ यह् युवक, शायद 3-4 दिनो से दाडी नही बनायी थी उसने,वो चल दिया अपने एक मित्र से मिलने ! दोनों ही एक संस्था के लिये काम करते हैं,कई मामलों में सिद्धांत: दोनों की विचारधारा एक समान है ! उसका मित्र दिखने में दुबला-पतला है पर उसके विचार बहुत सशक्त्त हैं, और दोनों ही इस संस्था के जरीये व्यवस्था को झकझोरना चाह्ते हैं !

आज की मुलाकात एक खास मकसद से है,जिस संस्था के लिये ये दोनो काम करते हैं एक युवती उस संस्था के बारे में जानना चाहती है ताकि वो देश-विदेश से इस संस्था के लिये पैसा इकटठा करने में इन दोनों की मदद कर सके ,लेकिन इससे पहले की वो इस संस्था के लिये काम करे वो इन लोगों की विचारधारा से अवगत होना चाहती है ! इनके कार्य की विश्वसनीयता से वाकिफ होना चाहती है !
इस युवक के मित्र ने उस युवती को 11:00 बजे एक बडे से शापिंग काम्पलेक्स (मॉल ) में बुलाया था ,सभी युवतीयाँ अक्सर सही समय में पहुँच जाती हैं लेकिन लडके वो तो हर जगह देरी से पहुँचना अपना धर्म समझते हैं शायद J ,और वो दुबला युवक अभी तक नहीं पहुचा था !
इस माँल में सुरक्षा की कडी व्यवस्था है, और इस सुरक्षा को भेदना काफी कठिन है पिछले एक घंटे से वो युवती इस माँल के प्रथम-तल के कई चक्कर लगा चुकी है ,और इस बीच कई लोगों से लगातार फोन पर बातें भी कर रही है ,शायद समय बिताने का इससे अच्छा तरीका उपलब्ध भी नही था ! लेकिन इस बीच इस युवती की कुछ करीबी मित्रों से बात होने लगी, बात करते-2 युवती इस माँल के पूरे निचले तल का मुआयना कर चुकी थी ! निचले तल पर महिला शौचालय में जाते समय युवती अपने किसी मित्र को कुछ समझा रही थी,
वो युवती ये सारी बातें बकायदा आज की ग्लोबल भाषा “ENGLISH “ में कर रही थी , मेरे विचार से इस भाषा का ज्ञान होना उचित है परंतु आज की मैट्रो शहरों की युवा पीढी का ये हाल है कि उन्हें यह कह्ते हुए फक्र होता है कि “ मुझे हिन्दी पढ्ना- लिखना ठीक से नहीं आता “ और यही उदगार हमारे प्रिय “विजय भैया ” के भी हैं ! खैर ...
शौचालय जाते समय उस युवती का दो निगाहें पीछा कर रही थी ,जैसे ही युवती ने पीछे देखा,एक महिला नीले और सफेद रंग की धारीदार सलवार-कमीज पहनी हुई ,इस युवती को घूर रही थी,युवती ने महिला को देखते ही ,अकस्मात ही मोबाईल से बातें करना बन्द कर दिया ! युवती ने ध्यान दिया की ये महिला इस माँल की प्राईवेट सुरक्षा ऐजेंसी की सदस्या है ! महिला पाँचवी (5th class) से ज्यादा पढी-लिखी भी नही होगी !
तकरीबन 10 मिनट के बाद वह दुबला-पतला युवक इस युवती से माँल के निचले तल पर बने हुए काँफी-शाँप पर मिला! प्रारम्भिक परिचय के बाद दोनों उस संस्था के बारे में बातें करने लगे ! युवक जुकाम से परेशान था इसलिये बोलने मे भी कठिनाई हो रही थी उसे ! इसलिये उसने अपने उस मित्र को बुला लिया ताकि वो संस्था के बारे में
विस्तार से बता सके ! करीब 12:45 बजे उसका मित्र पहुँचा ! लम्बा कुर्ता और जींस पहने हुआ यह् युवक संस्था को मजबूत करने के विषय में वार्तालाप करने लगा ! पतले युवक के पास एक काला बैग था जो कि टेबल के नीचे रखा हुआ था !
अभी 15 मिनट भी नही हुए थे इन तीनो को बातें करते हुए कि एक पुलिस इंस्पेक्टर और कुछ सुरक्षा कर्मी उस काले बैग को देखते हुए इन तीनों की टेबल की तरफ बढे ! माँल के सुरक्षा विभाग के लोग और वो महिला सुरक्षाकर्मी जो उस युवती का पीछा कर रही थी भी इन सबके साथ थी ! पुलिस इंस्पेक्टर सहित सभी सुरक्षाकर्मी इन तीनों को एक अजीब सी शक भरी निगाहों से देख रहे थे ! तीनों घबरा से गये थे !
युवती ने इंस्पेक्टर से पुछा “ क्या बात है ? इंस्पेक्टर ने इशारे से इन तीनों को अपने पीछे आने को कहा,जब तक ये लोग कुछ समझ पाते इंस्पेक्टर ने तीनों से “Identity Card ” माँग लिये !जिस तरह से पुलिस बल आयी हुई थी लगता था कि कुछ गम्भीर मामला है ! तीनों को माँल के सुरक्षा कक्ष में ले जाया गया,एक-2 करके तीनों से स्थायी निवास का पता,फोन न.,और इस शहर में रहने का कारण पुछा गया ! जिस तरह से यह तहकीकात चल रही थी उससे लग रहा था कि पुलिस ये मान चुकी थी कि ये तीनों किसी आतंकवादी संगठन से जुडे हुए हैं !
चूँकि दोनों युवक उस युवती से पहली बार मिल रहे थे तो उनके मस्तिष्क में युवती के लिये,और युवती के मस्तिष्क में इन दोनों के लिये एक शक की सूई घुमने लगी ! बहुत पुछने पर पुलिस ने बताया, कि महिला सुरक्षाकर्मी ने उस युवती को शौचालय के अन्दर फोन पर कहते हुए सुना था कि “ security बहुत tight है , इस माँल में बम लगाना नामुमकीन है “ तीनों एक दुसरे को देखने लगे और ऐसा सुनकर हतप्रभ रह गये !!
युवती तो महिला सुरक्षाकर्मी के उपर भावावेश में आकर चिल्लाने लगी “कब सुना तुमने ऐसा ? सुरक्षाकर्मी बोली “ मैड्म एक साल से काम कर रही हूँ मैं यहाँ, आज तक तो ऐसा नही बोला मैंने “
तीनों से पुछ्ताछ होने लगी,लेकिन एक बात समझ से परे थी कि उस महिला सुरक्षाकर्मी ने उस युवती की अंग्रेजी भाषा में वार्तालाप कैसे समझ ली ?तीनों थोडा घबरा भी गये थे क्योंकि परिस्थितियाँ भी तीनों के विरूद्ध थी ! पहले युवती का 11 बजे से एक घंटे तक माँल के निचले तल में घूमना ,12 बजे पतले युवक का आना ,फिर 12:45 में कुर्ते वाले युवक का इन के पास पहुँचना,तीनों का अलग-2 राज्यों से होना,अन्जान युवती का पहली बार मिलना वो भी किसी संस्था के लिये धन इकटठा करने के मकसद से ! ये सारी बातें इनके खिलाफ ही तो थी !
काफी अलग-2 प्रश्नों का जवाब देने के बाद जब तीनों परेशान हो गये तब युवती बोली कि वो एक सेना-अधिकारी की पुत्री है और ऐसे क्रुत्यों में शामिल होना तो दूर ऐसा सोचना भी उसके लिये असंम्भव है ! तीनों ने बताया कि असल में हम लोग भी राष्ट्र कि सेवा करना चाहतें हैं इसीलिये एक NGO (AID-Association for India’s Development
http://delhi.aidindia.org ) के लिये काम करते हैं और इसी सिलसिले में यहाँ मिले थे ! बहुत समझाने के बाद पुलिस ये मानी की तीनों कोई आतंकवादी नहीं है !
पुलिस की तत्परता देख तीनों को अच्छा लगा,लेकिन एक अनपढ सी बिना ट्रेनिंग पायी हुई महिला सुरक्षाकर्मी के द्वारा अनकही बात के सुनने पर इतना बवाल मचा दिया गया,एकबारगी के लिये तो इन तीनों को आतंकवादी ही समझ लिया गया था J ,और उपर से एक बात का और ज्ञान हुआ वो यह की पढे-लिखे लोगों से पुलिस इस तरह से व्यवहार करती है तो बेचारे अनपढ,लाचार और ग्रामीण परिवेश के लोगों से क्या व्यवहार होता होगा !
खैर !! यह अनुभव एक यादगार अनुभव था और आपको बताउँ की इस लेख में कुर्ता पहने हुआ युवक मैं स्वयं हूँ ,और मेरे साथ दुबला-पतला युवक और कोई नहीं अरुण था, अरुण AID-Prayas का volunteer है और वो युवती सोनिया थी ,जो कि प्रयास के साथ पिछले 15 दिनो से जुडी है ! और यह घटना PVR SPICE Mall,Noida की है
हमारा यह अनुभव हम तीनों के लिये अच्चम्भित करने वाला था !!! मुझे लगा कि आपको भी अपने अनुभव से अवगत कराउँ !!


इति


Darshan Mehra
darshanmehra@gmail.com

PS: your feedback always motivates to write better ,so give it now on COMMENT section :)







17 comments:

Ashok Singh Bisht said...

awesome

काकेश said...

आपने बहुत अच्छा लिखा दर्शन भाई.इसी तरह लिखते रहें. बदरीनाथ यात्रा भी आपकी अच्छी लगी थी.

http://kakesh.com

Unknown said...

mast hai daju. kafi maja aaya padkar. keep it up yaar.
koi tou kaam accha kar raha hai tu..
good

Unknown said...

Good Experience Darshan. Arun ko saath mein mat lekhe jaaoo iske baad... nahi tho andhar jaaooge pakka :P

Divya Prakash said...

hmm......yar ye sab padhnne ke bad yahi kahunga ki mujhe bhi NGO main kam karna hai,shayad ese hi yuvtiyon se mulakat hotii rahe!!
\मज़ा आ गया ,,,,,पढ़ के लेकिन इसमे युवती के बारे मे ज्यदा बात की जाए !!! और मैने मांन बना लिया है मैं नजीओ मैं काम करना चाहता हूँ ,मुझे नही पता था माल मे जाके ये सब कम करना होता है !!!waise bhiya darshan apki story telling to kamal ki ho gayii hai !!

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

अनुभव तो आप का रोमांचक था, और उसे सटीक शब्दों मैं व्यक्त करना और भी हर्ष का विषय है . यहाँ पर पुलीस की तत्परता देख कर अच्छा लगा की हमारी पुलीस देश की सुरक्षा के लिए कुछ कार्य तो करती है, रही बात उस महीला की तो यह प्रश्न हम सब के सामने हैं क्योंकी आज कोई भी पढा़ लिखा व्यक्ती शहरो की तरफ़ पलायन कर रहा है ,और नीजी कंपनीयों मैं ही कार्य करना चाहता है. और जो सरकारी दफ्तरों मैं काम करते हैं वो लोग काम न करने की मानिसकता से ग्रस्थ हैं .
पर आप का अनुभव और आप की लेखनी दोनों ही बहुत अच्छे हैं .

aditya said...

Great effort Darshan! Keep it up. Although reading Hindi is a weakness, the story was interesting and well told.

Unknown said...

HI,
SACH ME BAHUT DARAWANA THA MUJHE PADHKAR HI DAR LAG GAI
AESA LAG RHA THA KE MOVIE KI STORY PADH RHI HUNGI
it is realy very good
and iam shure u r a good writer
that it

पंकज said...

hmmm.. good story telling.. keep it up. :) even I think introduction part was a little weaker and you could target some more questions through this story.. u had scope in the story .. try to rediscover.. though its a good story I want you to go towards perfection.. :)

Unknown said...

Starting- Very Boring (bhoomika jada nahin baandhni chahiyee)
Mid- Interesting (ek acha mord)
End-Fantastic ,mind blowing(ek ache lekhak ki pahchan)
Over all good ,keep going ...........
aur jara bachkar..........
aatankwadi....................
kurta aur jeans ..................
aatankwadi????:)

Pratik Dixit said...

Hello boss it is one more heartfeeling article .
Life alwas gives you these types of experiences but it is great to pened them.

Raj said...

Hmm .. Mein is kahani main dubla patla insaan ka kirdaar nibhatha hun .. :p

Chalo jaise bhi ho .. thune achha likha hain .. :)

Unknown said...

vaise police ki koi galti thi hi nahi hai na??apko dekh k to koi b aisa soch hi sakta hai.hai na???pata main bhi mall k andar jate hue yahi soch rahi thi ki girls to eaisyly bomb lekar enter ho sakti hain .checking to hoti nahi hai na???thank god kisine suna nahi.!!!!varna!!!!!
vaise meri sangati ka asar aa gaya hai.achcha likhne lage ho.aur kisi dialouge ki jaroorat pade to contact karna.ok bye.nice job

Ashu said...

nicely..described darshan...
must have been an awesome experience

Sonia said...

Great!! you could express in words what all they went though but i am sure you know such experiences leave you speechless. People here are talking about Security and reponses but i think i see a gap in training the staff and education scenario. No doubt it was an Exhilarating experience. :-)
Great Going Dude.

Poonam Nigam said...

Great experience.quite adventurous.
[:P]

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